Ram Mandir Ayodhya: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले 121 ब्राह्मण के बीच होगी प्रायश्चित पूजा, जानिए इसके पीछे का मुख्य कारण: 500 वर्षों के बाद, आखिरकार भगवान राम अपने जन्मस्थान पर फिर से विराजमान होंगे। 22 जनवरी तक, पूरी अयोध्या अपने प्रभु राम को विराजमान करने के लिए जाप-मंत्रो के साथ पूजा-अर्चना में लगी हुई है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध् या में कुछ विशिष्ट नियमों का पालन किया जाता है। जिसमें सबसे पहले प्रायश्चित पूजा की जानी है।
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आज (मंगलवार) सुबह 9:30 बजे प्रायश्चित पूजा शुरू होगी, जो लगभग पांच घंटे तक चलेगी। 121 ब्राह्मण इस पूजा को पूरा करेंगे। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की शुरुआत इस प्रायश्चित पूजन से होगी। हर कोई जानना चाहेगा कि यह प्रायश्चित पूजा क्यों की जाती है।
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क्यो की जाती है प्रायश्चित पूजा?
प्रायश्चित पूजा का अर्थ है कि मूर्ति और मंदिर बनाते समय छेनी, हथौड़ी का उपयोग करके मूर्ति को ढाला जाता है और इसके साथ ही मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। प्रायश्चित पूजा का मूल उद्देश्य भी यह है कि पूजा में बैठे यजमानों से किसी भी अनजाने में हुए पाप का प्रायश्चित किया जाए।
दरअसल, हम अपने आप को पूजा से पहले शुद्ध करने के लिए कई तरह की गलतियां करते हैं, जो हमें पता नहीं होती। यही कारण है कि प्रायश्चित पूजा प्राण प्रतिष्ठा से पहले की जाती है।
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प्रायश्चित पूजा मतलब और भावना
दरअसल, प्रायश्चित पूजा में इन तीनों तरीकों (शारीरिक, आंतरिक, मानसिक और बाह्य) का प्रायश्चित किया जाता है। धार्मिक जानकारों और पंडितों के अनुसार, वाह्य प्रायश्चित के लिए दस प्रकार का स्नान किया जाता है। पंच द्रव्य सहित कई औषधीय व भस्म इसे स्नान करते हैं।
इतना ही नहीं, एक अतिरिक्त प्रायश्चित गोदान और निर्णय भी होता है। इसमें गोदान के माध्यम से यजमान प्रायश्चित करता है। कुछ लोग स्वर्ण दान भी करते हैं।